Thursday, May 2, 2024
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पॉर्न देखना कब पड़ता है भारी

by Nayla Hashmi
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पॉर्न एक ऐसी चीज़ है जो लगभग 85 प्रतिशत लोगों को देखना पसंद होता है। यह तो सिर्फ़ वो आंकड़ा है जो की नाप लिया गया है लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसे लोग हैं जो स्वीकार नहीं करते लेकिन पॉर्न को पसंद करते हैं।

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पॉर्न देखना और पसंद करना एक सामान्य सी बात है और हम ये नहीं कह सकते कि पॉर्न देखने वाला कुछ असामान्य कर रहा है। हालाँकि ये सच है कि हमारी सोसाइटी में पॉर्न को सहजता से नहीं लिया जाता है और पॉर्न देखने और पसंद करने वालों को तो बिलकुल भी नॉर्मल नहीं माना जाता है। ख़ैर यह सब तो समाज की सोच और परंपराएं हैं और हम इन से इनकार नहीं कर सकते।

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जैसा कि हमने कहा कि पॉर्न देखना और पसंद करना असामान्य नहीं है लेकिन ये नुक़सानदेह ज़रूर हो सकता है। हर चीज़ की अधिकता बुरी होती है ठीक उसी तरह अगर आप हद से ज़्यादा पॉर्न देखते हैं तो आपके ऊपर इसके कई नुक़सान हो सकते हैं। आइए देखते हैं कि पॉर्न देखना कब आपकी ज़िंदगी पर भारी पड़ने लगता है।

1. हद से ज़्यादा देखने पर 

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अति हर चीज़ की बुरी होती है फिर चाहे वह पॉर्न ही क्यों न हो। पॉर्न देखना एक बेहद ही सामान्य सी बात है लेकिन जब आप हद से ज़्यादा पॉर्न देखने लगते हैं तो आपको पॉर्न देखने की लत लग जाती है। हम कह सकते हैं कि आपके दिमाग़ में पॉर्न की एक बेहद ख़ास जगह बन जाती है और आपको हर समय पॉर्न देखने का ही मन करता रहता है।

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यक़ीन मानिए आपकी यह लत आपके अन्य कामों को प्रभावित कर सकती है। जब आप पढ़ाई के लिए कंसंट्रेट करना चाहते हैं तब आपको ध्यान लगाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा शोध में इस बात का भी दावा किया गया है कि हद से ज़्यादा पॉर्न देखने पर याददाश्त कमज़ोर हो जाती है।

2. सिर्फ़ पॉर्न के बारे में ही सोचने पर 

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जब हद से ज़्यादा पॉर्न देखना शुरू कर देते हैं तो यह आप की आदत बन जाती है और आगे चलकर लत! ऐसे में ये बहुत ही नॉर्मल सी चीज़ है कि आपके दिमाग़ में हर समय पॉर्न ही चलता रहे। कई बार तो ऐसा होता है कि आप पॉर्न के बारे में किसी ख़ास टाइम पर नहीं सोचना चाह रहे होते हैं फिर भी आपके दिमाग़ में पॉर्न चलता रहता है।

3. दिखाई गई चीज़ों पर बिना सोचे समझे अमल करने पर 

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पॉर्न फ़िल्मों में कई चीज़ें ऐसी दिखाई जाती हैं जिन का रियल ज़िंदगी में होना ना सिर्फ़ मुश्किल होता है बल्कि काफ़ी हद तक नामुमकिन भी होता है। फ़िल्मों में दिखाए गए कुछ कुछ सीन्स ऐसे होते हैं जोकि रियल लाइफ़ में लागू नहीं हो सकते लेकिन जब लोग इन चीज़ों को अपनी असल ज़िंदगी में करना शुरू करते हैं तो ऐसे में उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं।

कई बार तो जब लोग फ़िल्मों में दिखाई गई चीज़ों पर बिना सोचे समझे अमल करने लगते हैं तो ऐसे में उन्हें इतने भारी नुक़सान हो जाते हैं कि उन्हें डॉक्टर या फिर साइक्लोजिस्ट की सलाह लेनी पड़ती है।

4. पार्टनर से बेकार की एक्सपेक्टेशन पालने पर

जैसा कि हमने कहा की पॉर्न फ़िल्मों में दिखाए गए कुछ सीन्स ऐसे होते हैं जोकि सच नहीं होते हैं लेकिन जब इंसान इन्हें अपनी असल ज़िंदगी में लागू करना चाहता है तो उसे नुक़सान उठाने पड़ते हैं।

इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब आप अपने पार्टनर से यह उम्मीद करने लगते हैं कि वह ठीक वैसे ही पोज़ करें जैसे कि फ़िल्मों में दिखाए गए लोग करते हैं तो ऐसे में कभी कभी हो सकता है कि पार्टनर को आपकी बात अच्छी ना लगे।हो सकता है कि पार्टनर आपकी वजह से वह बात मान ले लेकिन यदि आप बार बार उससे बेकार की एक्सपेक्टेशन करने लगते हैं तो उसे भी काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो सेक्शुअल लाइफ़ इतनी प्रभावित हो जाती है कि रिश्ता टूटने की कगार पर पहुँच जाता है। हम फिर से यही कहना चाहेंगे कि अति हर चीज़ की बुरी होती है। अब आपको यह ख़ुद डिसाइड करना है कि आप चीज़ों को नॉर्मल अंदाज़ में ही करते हैं या फिर उन्हें एब्नार्मल की श्रेणी में रख देते हैं।

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