Saturday, April 27, 2024
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फेसबुक-गूगल भी फिशिंग के शिकार, कोरोनाकाल में 667% तक बढ़े हमले

by Divyansh Raghuwanshi
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पूरी दुनिया में फिशिंग अटैक का शीर्षक एक बार फिर सुर्खियों में आ रहा है। इसका मुख्य कारण एक न्यूज़ चैनल के एंकर के साथ हुई धोखाधड़ी को माना जा सकता है।

इस न्यूज़ चैनल के एंकर का नाम निधि राजदान है जिसको हावर्ड यूनिवर्सिटी में नौकरी के ऑफर का लालच दिया गया था। लेकिन बाद में पता चला यह फिशिंग अटैक करके अपने जाल में फसाने वाला मामला निकला। आश्चर्यजनक बात यह है, कि पूरी दुनिया में फिशिंग हमले की दुर्घटनाएं काफी तेजी से बढ़ गई हैं। 

पिछले महीने की ही बात है, कि आईबीएम सिक्योरिटी की टास्क फोर्स ‘एक्सफोर्स’ ने चेतावनी दी थी कि कोविड-19 की कोल्ड चेन से संबंधित संस्थाओं को टारगेट करके एक वैश्विक अभियान को संचालित किया जा रहा है। कुछ साल पहले भारत में साइबर सुरक्षा की नोडल एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने चेताया था कि लगभग 20 लाख लोग सोशल मीडिया पोस्ट या मैसेज, फर्जी ईमेल के माध्यम से फ्री कोविड-19 टेस्टिंग के नाम पर फिशिंग का शिकार बना सकते हैं। 

पिछले साल अप्रैल में गूगल ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि कोरोनावायरस के कारण पूरी दुनिया में फिशिंग अटैक के मामलों में काफी बढ़ोतरी हो गई है। डब्ल्यू एच ओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) को भी फिशिंग अटैक्स के बारे में सतर्क करने के लिए एडवाइजरी जारी की गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 85% फिशिंग अटैक्स के मामलों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भरपूर मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में जारी हुई एसेंसर सिक्योरिटी की ‘द कॉस्ट ऑफ साइबर क्राइम’ नामक रिपोर्ट से पता चलता है कि सोशल मीडिया अटैक के आंकड़े हर साल 16% की तेजी से बढ़ रहे हैं।

ऑनलाइन फिशिंग क्या है

आधुनिक युग में फिशिंग का का मतलब यह है, कि किसी को भ्रमित करके अपने जाल में फंसाना होता है। उदाहरण के लिए मानते हैं, कि आपके पास एक ऐसा मेल आता है जो किसी कंपनी, बैंक, विभाग इत्यादि से आने वाला जैसा दिखता है। उसमें कुछ लिंके दी हुई रहती हैं जिन पर आप क्लिक करके किसी अन्य वेबसाइट पर चले जाते हैं। वह वेबसाइट किसी संस्थान जैसी मिलती-जुलती दिखती है। 

यहां पर जाने से या तो कोई मैलवेयर डाउनलोड हो जाता है या फिर अन्य कोई गोपनीय जानकारी भरने करने के लिए कहा जाता है। जो व्यक्ति इन जानकारियों को भर देता है, वह ऑनलाइन फिशिंग का शिकार हो जाता है। गोपनीय जानकारी भरने के बाद वह सीधे हैकर के पास पहुंच जाती हैं। हैकर आपकी जानकारियों का गलत इस्तेमाल करता है। ई-मेल के अलावा इस प्रकार के फर्जी मैसेज व्हाट्सएप, मैसेंजर इत्यादि सोशल प्लेटफॉर्म पर आते हैं। 

2014 में सोनी पिक्चर्स में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों के पास फर्जी ईमेल भेजे गए थे। हैकर्स ने इन कर्मचारियों की लिंकडइन प्रोफाइल से सूचना को जुटाकर स्वयं सोनी कंपनी का कर्मचारी घोषित किया था। हैकर ने सभी के ईमेल में मालवेयर से भरे मेल भेजें। ऐसा होने से कंपनी का 100 टीवी से अधिक डाटा चोरी हो गया था। इसके फलस्वरूप सोनी को 730 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा था।

 

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