कुछ सालों पहले जहां श्राद्ध के दिनों में दुकानदार तमाम ऑफर्स देकर कस्टमर्स को लुभाने की कोशिश करते थे और कस्टमर्स शॉपिंग से बचते थे, वहीं अब आम पब्लिक की सोच में बदलाव आ रहा है।
शॉपिंग कम होने का लॉजिक
डिजाइनर लेडीज़ सूट के स्टोर मैनेजर विशन बताते हैं, ‘यह सही है कि श्राद्ध के दिनों में हमारी सेल 50 से 60 फीसदी कम हो जाती है लेकिन इसकी वजह यह भी हो सकती है कि बड़े डिस्काउंट वाली मॉनसून सेल कुछ दिन पहले ही खत्म हुई है, स्टोर पर नया स्टॉक आ चुका है। जाहिर है फ्रेश स्टॉक है, तो बहुत से कस्टमर्स को महंगा लगता होगा। दीवाली के आसपास फिर डिस्काउंट शुरू होगा तो सेल बढ़ जाएगी।’ वहीं, लाइफस्टाइल स्टोर के एक ब्रैंड में काम करने वाली दीपिका ने बताया कि कुल 15 दिन चलते हैं श्राद्ध, वीकडेज में तो मॉल्स का बिजनस आमतौर पर कम ही रहता है, वीकऐंड पर फिर भीड़ हो जाएगी, जिसको सामान खरीदना है वह तो खरीदेगा ही, शॉपिंग कहां रुकती है।
ऑनलाइन हो रही है खरीदारी
पिछले कुछ सालों में ई-कॉमर्स सेक्टर का बिजनस बढ़ा है। हालांकि इसमें फैशन इंडस्ट्री का 90 फीसदी काम ऑफलाइन ही होता है, लेकिन यह भी तेजी से बढ़ रहा है। पितृपक्ष में खरीदारी को लेकर कुछ लोगों को तब डर लगता है जब वे बाजार में भीड़ कम देखते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं कि शॉपिंग बंद है। आयुष कहते हैं, ‘मैं आजकल ऑनलाइन शॉपिंग कर लेता हूं, समय बच जाता है और डिस्काउंट भी मिल जाता है। मुझे एक पार्टी अटेंड करनी है तो ऑनलाइन शर्ट खरीद ली, 3 से 5 दिन में घर आ जाएगी। बड़े ब्रैंड्स को अपनी रेप्युटेशन का ख्याल है, तो उनका ऑनलाइन सामान भी वैसा ही है जैसा ऑफलाइन, तो स्टोर पर जाने की क्या जरूरत है।
बाजार से सामान लाने पर रोक नहीं
दरअसल, साल में 15 दिन पितरों के लिए रखे जाते हैं जबकि 11 महीने 15 दिन देवताओं के होते हैं। ऐसे में श्राद्ध के दिनों में पुत्र का कर्म होता है कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए जल दे। बाल नहीं बनाए, मदिरा-मांस का सेवन न करे और बुरा न बोले। ध्यान दें कि बाल बनाने तक पर रोक है लेकिन मेरी जानकारी में शास्त्रों में ऐसा कहीं नहीं बताया गया है कि बाजार से सामान न खरीदें। ऐसे पूजा अनुष्ठान जिसमें देवताओं का आह्वान होता है वे नहीं किए जाते। शायद इसीलिए यह भ्रांति बन गई है कि शॉपिंग भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि अन्य शुभ या नए काम नहीं किए जाते।