Friday, May 10, 2024
hi Hindi
Thursday Fasting Beliefs

गुरुवार व्रत के बारे में जानिए

by Divyansh Raghuwanshi
267 views

हिंदू धर्म में जहां 33 करोड़ देवी देवताओं की मान्यता है तथा अलग-अलग समुदायों एवं संप्रदायों के द्वारा आदिकाल से अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना उपासना होती चली आई है।

वही समय-समय पर विभिन्न व्रत उपवासों का क्रम प्रचलन में रहा है।‌ हर काल में जिस प्रकार व्रत का महत्व ऋषि-मुनियों से सबसे अधिक बताया है, वह है गुरु का व्रत। गुरुवार को वीरवार व बृहस्पतिवार के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 

वर्तमान में लोग अपनी अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए नाना प्रकार के व्रत रखते हैं। कुछ लोग एक साथ कई प्रकार के व्रत रखते हैं मगर उन्हें फिर भी किसी क्षेत्र का कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता अपितु लोगों को कई बातों का विपरीत परिणाम भुगतना पड़ता है। वर्तमान समय में तो व्रत के नाम पर इतना आडंबर, दिखावा व नियम जुड़ गए हैं, कि उनका वास्तविक स्वरूप व लक्ष्य ही समाप्त हो गया है। हम व्रत क्यों और किस लिए रखते हैं? लोगों को अपनी समस्याओं के निदान करने के लिए जिससे जो बता दिए जाए जिस तरह बता दिए उसी प्रकार लो व्रत रहने लगते हैं।

इसलिए रखना चाहिए गुरुवार का व्रत

गुरुवार व्रत रखने पर सभी देवी देवताओं का एक साथ आशीर्वाद प्राप्त होता है। गुरु सत्ता का पूर्ण आशीर्वाद मिलता है एवं माता भगवती जगत जननी दुर्गा जी प्रसन्न होती हैं तथा अपनी पूर्ण कृपा प्रदान करती हैं जिससे मनोकामना पूर्ण होती है आत्म शांति मिलती है तथा मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है। 

गुरुवार व्रत रखने के नियम

गुरुवार व्रत रखने के लिए ज्यादा बड़े विधि-विधान की आवश्यकता नहीं है इस व्रत को स्त्री-पुरुष बड़े-बूढ़े तथा बालक-बालिकाओं सब रख सकते हैं यह व्रत सप्ताह में एक बार आता है।

गुरुवार व्रत में कम से कम निम्नलिखित नियमों का पालन करना अनिवार्य है –

  • यह व्रत बुधवार व गुरुवार की मध्य रात्रि अर्थात 12:00 बजे रात्रि से प्रारंभ मान चाहिए।
  • इस व्रत को गुरुवार के दिन सूर्य अस्त तक माना जाता है।
  • गुरुवार को प्रात: उठकर सभी क्रिया जैसे स्नान इत्यादि करके तथा स्वच्छ धुले वस्त्र धारण करके एक स्थान पर बैठकर अपने गुरु व इष्ट देवी देवताओं के पूजन के साथ माता भगवती दुर्गा जी का पूजन व आरती वंदन करें तथा जितनी देर आप शांति से बैठ सकें एवं गुरु व माता दुर्गा जी के मंत्रों का जाप व ध्यान करें।
  • यदि उपलब्ध हो तो शुद्ध घी की ज्योति प्रज्वलित करके आरती करें, अन्यथा सरसों या कोई भी तेल की ज्योति जला सकते हैं। तेल भी उपलब्ध ना होने पर मात्र अगरबत्ती जलाकर आरती कर सकते हैं। यदि कुछ भी उपलब्ध ना हो तो पूर्ण भावना के साथ ऐसे ही बिना दीप-धूप के भी मानसिक आरती कर सकते हैं।
  • पूर्ण सात्विकता से माता भगवती दुर्गा जी व गुरु के ध्यान चिंतन में दिन व्यतीत करें।
  • अगर आपको दुर्गा जी के किसी भी मंत्र का ज्ञान नहीं है तो माता के चेतना मंत्र ‘ओम जगदंबिके दुर्गायै नमः’ का अधिक से अधिक जाप करे।
  • दिन में आप दूध चाय या फलाहार ग्रहण कर सकते हैं लेकिन नमक आदि का सेवन न करें।
  •  सूर्य अस्त  के बाद आप बाद आप घर में निर्मित रोटी सब्जी इत्यादि को ग्रहण कर सकते हैं।

 

जानिए कैसे कल्पवृक्ष है लाभदायक

SAMACHARHUB RECOMMENDS

Leave a Comment