Monday, May 20, 2024
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जानिए कैसे कल्पवृक्ष है लाभदायक

by Divyansh Raghuwanshi
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पौराणिक हिंदू मान्यता के अनुसार कल्पवृक्ष एक विशेष वृक्ष है। यह वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। वेद पुराणों में भी कल्पवृक्ष का वर्णन मिलता है। यह एक प्रकार का चमत्कारी वृक्ष है। इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो भी कामना की जाती है वह पूर्ण हो जाती है। समुद्र मंथन के दौरान 14 प्रकार के रत्नों में से एक कल्पवृक्ष है। देवराज इंद्र को समुद्र मंथन से यह वृक्ष मिला था। इंद्र देवता ने हिमालय के उत्तर में इस वृक्ष को स्थापित कर दिया। इसे परिजात का कल्पतरु कहां जाता है।

कल्पवृक्ष का आकारPicsArt 01 18 01.47.49

यूरोप के फ्रांस और इटली में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। ओलिएसी कुल के इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम औलिया कस्पीडाटा है। भारत में इसका नाम बंबकेसी है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक माइकल अडनसन ने 1775 में अफ्रीका में इसे देखा था। क्या डच दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं। कल्पवृक्ष 70 फुट ऊंचा होता है। इसका तना भी 5 फुट का होता है। कल्पवृक्ष की आयु 3000 साल मानी गई है।

कल्पवृक्ष के औषधीय गुण

इस वृक्ष की महिमा तो शास्त्रों में भी कहीं गई है। यह मोटे तने का फलदायी और लंबी टहनी बाला होता है। इसके पत्ते लंबे और आम के पत्तों की तरह होते हैं। यह वृक्ष पीपल के वृक्ष की तरह फैलता है। कम पानी में भी यह वृक्ष शरदा हरा भरा रहता है। इसकी पत्तियां कम गिरती हैं। कल्पवृक्ष को परोपकारी लक्ष कहा गया है इसमें संतरे से भी अधिक विटामिन सी पाई जाती है। कैल्शियम की मात्रा दूध से भी अधिक होती है। यह वृक्ष विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत है। कल्पवृक्ष की पत्तियों को उबालकर या सुखा कर भी खा सकते हैं। कल्पवृक्ष सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इस वृक्ष की छाल फल फूल सभी का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।

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कल्पवृक्ष के पौधे को भारत में पूजा जाता है। 5000 साल पुराना कल्प वृक्ष उत्तर प्रदेश के बोरोलिया में आज भी विद्यमान है। भारत के रांची अल्मोड़ा काशी नर्मदा तट और कर्नाटक के कुछ स्थानों पर यह पौधा पाया जाता है। पुटट्पथी सत्य साईं बाबा के आश्रम में ए पौधा विद्यमान हैं।

   सेहत के लिए कल्पवृक्ष की पत्तियां उपयोगी होती हैं। पांच पत्तियों का रोज सेवन करने से दैनिक पोषण की आवश्यकता पूरी होती है, इसकी पत्तियां उम्र बढ़ाने के काम आती हैं। एलर्जी, दमा और मलेरिया जैसी बीमारियों में कल्पवृक्ष की पत्तियों को खाया जाता है। इस देश के फल और बीजों का भी उपयोग दोनों के लिए किया जाता है। अमीनो एसिड की अधिक मात्रा इस वृक्ष में पाई जाती है।

पर्यावरण के लिए लाभदायक वृक्ष

कल्पवृक्ष पर्यावरण की दृष्टि से बहुत अच्छा होता है यह वायु प्रदूषण को दूर करता है। जिस स्थान पर होता है वहां पर सूखा कभी नहीं पड़ता। इस व्यक्ति की पत्तियां स्पंजी होती हैं जो पानी के भंडारण में सहायक हैं। तुलसी के वृक्ष के समान हम भारतीय कल्पवृक्ष की भी पूजन करते हैं। कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर हमारे ऋषि-मुनियों ने तपस्या की है। अध्यात्म के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है।

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