Monday, May 20, 2024
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नेम थेरेपी के माध्यम से भविष्य गणना

by Divyansh Raghuwanshi
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नाम ही व्यक्ति की पहचान होता है। अगर व्यक्ति की उन्नति में कोई बाधा आती है तो नेम थेरेपी के माध्यम से भाग्य में वृद्धि हो जाती है। शब्दों की शक्ति का तालमेल बिठाकर किसी व्यक्ति के प्रतिकूल भाग्य को अनुकूल बनाया जाता है। नेम भैरवी के द्वारा सकारात्मक ऊर्जा शक्ति जोड़ दी जाती है जिससे ब्रह्मांड में उपस्थित सकारात्मक ऊर्जा उसके लिए कार्य करने लगती हैं। व्यक्ति के नाम को सुधार कर भाग्योदय किया जाता है। जातक के जन्म समय आदि के बारे में जानकारी लेकर ज्योतिष के माध्यम से उसे बदला जाता है। उसके नामों के अक्षरों और नए अंक द्वारा नई ऊर्जा दी जाती हैं।

नेमोलॉजी का अर्थ

नेमोलाजी ऐसा ज्ञान है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति वस्तु, स्थान का नाम उसे भाग्यशाली बनाता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का नाम विजय है उसका जन्म 21 जनवरी 1982 को हुआ है। उस व्यक्ति का जन्मांक 3 होगा। पाइथागोरियन सिद्धांत के अनुसार 5 नंबर 6 और उसका जन्म अंक 5 होगा। इस तरह हम उस व्यक्ति के मूल आंत जन्मांग नामांक और लकी नंबर आदि तथ्यों को समझ कर उसके भाग्य की गणना कर सकते हैं।

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नेम थेरेपी का असरदार अनुभव

ब्रह्मांड में अक्षर रूपी शक्ति व्याप्त है जो किसी देश में रहने वाले व्यक्ति के स्थान को प्रभावित करती हैं। अक्षर मिलकर शब्द को बनाते हैं। जीवन में शब्दों का बड़ा ही महत्व होता है। मनुष्य के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही शक्तियां प्रभाव डालती हैं। यह शक्तियां मनुष्य के रिश्तो संतान शिक्षा व्यवसाय और स्वास्थ्य के साथ जुड़ी हुई होती हैं। बहुत पहले से नामकरण व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा होता है। व्यक्ति का नाम ही उसकी पहचान बन जाता है। नेमोलॉजी की विद्या के द्वारा होने व्यक्ति के जीवन के क्षेत्रों में जैसे शिक्षा, संतान, विवाह और व्यवसाय को जाना जाता है। निर्मला जी के माध्यम से यह भी पता चलता है कि किस नाम वाले व्यक्ति किस क्षेत्र में उन्नति करेगा।

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वेद पुराणों में भी नाम का महत्व

प्राचीन काल से ही नामकरण की प्रथा चली आ रही है। किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान और देश को नाम दिया जाता है। वह नाम व्यक्ति की दशा और दिशा निर्धारित करता है। रामायण में भी नामकरण का उल्लेख है। रामायण की चौपाई-

नामकरण कर अवसर जानी।

भूप बोलि पठए मुनि ज्ञानी।।

रामायण में जब भगवान श्री राम ने अयोध्या में राजा दशरथ के यहां जन्म लिया था तो महाराज दशरथ ने उनके कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ को चारों भाइयों के नाम रखने के लिए बुलाया गया था। उस समय महर्षि वशिष्ठ ने चारों भाइयों नाम के रखकर नामकरण को बताया। भगवान राम के लिए 

जो सुख धाम राम है अस नामा।

अखिल लोक दायक विश्रामा।।

इस तरह ज्योतिष विद्या के किसी व्यक्ति के जन्म के समय के नक्षत्र और बालक बालिका के नाम के अक्षरों का नामकरण किया जाता है। विज्ञान भी इस क्षेत्र को नकार नहीं पाया। नामकरण की प्रथा लंबे समय से चली आ रही है। व्यक्ति का नाम उसके जीवन के प्रभाव को दर्शाता है। पहले लोग नाम रखने से पहले उसके अर्थ को जान लेते थे। व्यक्ति के नाम का प्रभाव उसके व्यक्तित्व और उसकी पहचान बनता है। विवाह के कार्य में भी पति और पत्नी की जन्म कुंडली मिलाकर उनके आपसी तालमेल की गणना की जाती है। व्यक्ति के नाम को सुधार कर उसके भाग्य में वृद्धि की जाती है ,ब्रह्मांड में उपस्थित अलौकिक ऊर्जा उसे प्राप्त हो सके।

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