Sunday, May 12, 2024
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मामूली नहीं है काल्पनिक रिश्ते रखने वाली बीमारी

by Nayla Hashmi
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कल्पना करना मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है और वह अपने इस अधिकार का उपयोग भलीभाँति करता भी है! जिन चीज़ों को हम वास्तव में कर नहीं सकते हैं उनका आनंद हम कल्पना करके ले लेते हैं। वास्तव में कल्पना करना अपने आप में एक बेहद गौरवशाली और आनंददायक काम है लेकिन क्या होता है कि जब आप इस हद तक कल्पना करने लगते हैं कि ये आपके लिए ख़तरनाक हो जाता है?

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जी हाँ, एक वक़्त आता है जबकि कल्पना करना हमारे लिए काफ़ी ख़तरनाक हो जाता है और ये वक़्त तब आता है जबकि हम काल्पनिक रिश्ते रखना शुरू कर देते हैं। हम बात कर रहे हैं एक बेहद गंभीर समस्या इरोटोमेनिया की!

इरोटोमेनिया एक साइकोलॉजिकल बीमारी है जिसके चलते हम अपनी कल्पनाओं में एक ऐसी दुनिया बसा लेते हैं जिनमें कि हमारे रिश्ते उन लोगों से होते हैं जिनसे कि असलियत में होना लगभग नामुमकिन है। इसमें ऐसा होता है कि जब हम किसी इंसान को चाहने लगते हैं तो हम ये कल्पना करना शुरू कर देते हैं कि वो इन्सान भी हमें उतना ही प्यार करता है जितना कि हम उसे फिर भले ही असलियत में उस इंसान की फीलिंग्स हमारे लिए कुछ भी हों।

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ज़्यादातर इस बीमारी में हमें ये देखने को मिलता है कि हम अपनी कल्पनाओं में किसी सेलिब्रिटी को चाहने लगते हैं। इतना ही नहीं बल्कि हमें तो यहाँ तक फ़ील होता है कि वो सेलिब्रिटी भी हमें हद से ज़्यादा प्यार करता है और अकसर हम ये भी सोचते हैं कि हम उस सेलिब्रिटी के साथ डेट पर भी जा चुके हैं! वैसे तो ये चीज़ें सुन कर किसी को भी हँसी आ सकती है लेकिन वो इंसान जो इस समस्या से ग्रस्त है उस पर हँसी आने के बजाय हमें तरस आना चाहिए।

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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पुरुष भावनात्मक ना होकर प्रैक्टिकल होते हैं। शायद यही वजह है कि ये बीमारी पुरुषों में कम देखी जाती है जबकि महिलाओं में इसका आंकड़ा काफ़ी ज़्यादा है। महिलाओं में ये बीमारी उनके भावनात्मक होने के कारण होती है ऐसा हम बिलकुल सटीक तरीक़े से नहीं कह सकते हैं क्योंकि कई अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि इस बीमारी का एक कारण हार्मोनल असंतुलन भी होता है। ख़ैर इसके कारण जो भी हों लेकिन जो सोचने वाली बात है वो ये है कि क्या इसका कोई निवारण भी है? अगर आप भी इसके सलूशन के बारे में जानना चाहते हैं वो तो आपको जानकर ख़ुशी होगी कि इस बीमारी का इलाज संभव है।

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जी हाँ, किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से काउंसलिंग के सेशन्स लेकर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। वैसे भी हम जानते हैं कि मैंटल डिसऑर्डर्स से छुटकारा पाने के लिए काउंसलिंग का होना बेहद ज़रूरी है। अब चूंकि ये बीमारी महज़ एक दिमाग़ का फ़ितूर और उपज होता है इसलिए इससे दवाइयों के ज़रिए छुटकारा पाना तो लगभग असंभव है। इसके लिए काउंसलिंग कराना ही एक अच्छा ऑप्शन होता है।

इसके अलावा अगर आप चाहते हैं कि आपके परिवार में किसी के साथ भी यह समस्या न हो तो इसके लिए बेहद ज़रूरी है कि आप अपने परिवार के लोगों के साथ कम्युनिकेशन अच्छा रखें। उनको समय दें, उनकी समस्याओं को सुनें और समझें। यह एक ऐसी चीज़ है जो न सिर्फ़ इसी बीमारी को बल्कि कई अन्य साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर्स को भी आने से रोकता है! तो दोस्तों उम्मीद है कि अब आप इस चीज़ से डरेंगे नहीं बल्कि लड़ेंगे।

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