पाकिस्तान के लाहौर से (2014 में वितरित हुए नोबेल का) शांति पुरस्कार हासिल करने वाली महिला मलाला युसुफजई का पाकिस्तान में कुछ प्रमुख स्थानों पर निंदा की जा रही है। इतनी उच्च लेवल का सम्मान पाने वाली महिला का जिस देश में अपमान हो वह देश इज्जत के लायक नहीं कहा जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब मलाला युसुफजई का विरोध किया गया है।
पाकिस्तान में कई बार यहां के नागरिकों द्वारा (पाकिस्तान में रहने के लिए) मलाला युसुफजई का घोर विरोध किया गया है। लाहौर में स्थित Lums (लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस) में कुछ दिन बाद होने वाली कन्वेंशनल सेरेमनी यानी कि दीक्षांत समारोह में मलाला युसुफजई को बुलाने के लिए न्योता भेजे जाना था परंतु मलाला युसुफजई के आने पर घोर विरोध किया गया है।
लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस की होने वाली कन्वेंशनल सेरेमनी की अभी तारीख निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन एलयूएमएस से संबंध रखने वाले बड़े कर्मचारियों ने बताया है, कि यह होने वाली सेरिमनी इसी महीने होगी।
लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस के कुछ स्टूडेंट्स ने वाइस चांसलर को पत्र लिखकर मलाला युसुफजई के आने को देश विरोधी बताया है। इससे पहले भी स्टूडेंट्स ने यह आरोप लगाया था कि मलाला युसुफजई का अमेरिका और ब्रिटेन समर्थक है।
मलाला की जगह बिलाल (सिंगर) को बुलाने की मांग
लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस के एक एसोसिएट प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट अपलोड की है। इस पोस्ट में लिखा है, कि ग्रेजुएट होने वाले कुछ छात्र नहीं चाहते हैं कि कन्वोकेशन सेरेमनी मे मलाला युसुफजई को बुलाया जाए। मलाला की जगह प्रचलित यंग सिंगर बिलाल खान को छात्रों द्वारा बुलाए जाने की मांग हो रही है। इस यूनिवर्सिटी में मलाला युसुफजई को मिलिट्री फैमिली से आने वाले कुछ छात्र देश विरोधी मानते हैं।
पाकिस्तान में मलाला पर 2012 में एक बहुत ही घातक (खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में) आतंकी हमला हुआ था। हमले में घायल हो जाने पर मलाला को ब्रिटेन में इलाज के लिए लाया गया था। वर्तमान समय में मलाला युसुफजई के पास ब्रिटिश की नागरिकता है। और हाल ही में इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है।
यह केवल पाकिस्तान में ही प्रचलित महिला नहीं है बल्कि इनकी उपलब्धियों के कारण पूरे दुनिया में इन्हें जानता है। इनके द्वारा विश्व में कई ऐसी संस्थाएं बच्चों को पढ़ने के लिए चलाई जा रही हैं और महिलाओं के साथ अपराध ना हो इसके लिए भी कई मुहिम चलाई जा रहे हैं। मलाला ने अपनी कई किताबे लिखी है, जो कि पूरी दुनिया में प्रचलित है।
मलाला पर हुए हमले को कुछ लोगों द्वारा ड्रामा माना जा रहा है। पाकिस्तान के एक प्रचलित अखबार ‘नया दौर’ के अनुसार पाकिस्तान और दुनिया के लिए मालाला बहुत प्रचलित नाम है। लेकिन पाकिस्तान में जो व्यक्ति इनको पसंद नहीं करता उसे वह खराब लगती है, और जो व्यक्ति इनको खराब मानते हैं उनका कहना है, कि मलाला पाकिस्तान की मदद से ही इस मुकाम तक पहुंच सकी है। और कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है, कि 2012 में हुए हमला महज एक ड्रामा था।