Saturday, May 18, 2024
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महामारी की वजह से पश्चिमी देश के लोग छोड़ रहे हैं एशिया

by Divyansh Raghuwanshi
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एशिया महानगर काफी लंबे अरसे से अमीर देशों के लिए एक आकर्षण के केंद्र की तरह काम करता रहा है। यदि हम केवल पिछले वर्ष की बात करें तो ओसीईडी देशों के 30 लाख से अधिक लोग एशिया में निवास कर रहे थे। ओसीईटी अमीर देशों के संगठनों को कहा जाता है।

कोरोनावायरस की वजह से और कुछ अन्य और कारणों के कारण वापस लौटने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसके कारण दूसरे देश और मेजबान देश को नुकसान देखने को मिला है। यदि कनाडा की एक स्टडी की बात करें तो इसमें देखा गया कि लोगों के आने से संख्या में 10% बढ़ोतरी होती है जिससे देश का आयात 3% और निर्यात 1% तक बढ़ जाता है किंतु इस महामारी की वजह से अमीर देशों के बहुत से ऐसे लोग हैं जो बाहर रहना पसंद नहीं करते हैं।

वहीं यदि एशिया के लोगों की बात करें तो उनकी आवाजाही के सही आंकड़े वर्तमान में मौजूद नहीं है। अमेरिका ने जून के महीने तक 15000 लोगों को अपने देश वापस बुला लिया। ऐसा भी देखा गया है कि स्वयं के देश में संपत्ति की खरीद में भी काफी भारी बढ़त देखी गई है। एक कंपनी के संपर्क के डाटा के अनुसार कंपनी में मौजूद एजेंटों से 30% लोगों ने संपर्क किया है जो स्थाई रूप से आना चाह रहे हैं। वहीं 60% लोग ऐसे हैं, जो दूसरे देश और अपने मूल देश में थोड़ा थोड़ा समय बिताने के बारे में विचार कर रहे हैं।

महामारी का प्रकोप

महामारी के कारण कई नुकसान हुए जिनमें से एक नुकसान यह भी है, कि महंगे पश्चिम देशों के कर्मचारी रखने में भी एशिया में नुकसान हो रहा है। एक कंपनी जो कर्मचारियों की नियुक्ति में सहायता करती है, उसके सर्वे में पाया गया कि कंपनियों ने विदेशों में काम कर रहे अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया था। ऐसा करीब 50% से ज्यादा कंपनियों ने किया था। ऐसा माना जा रहा है, कि केवल आधे ही लोग ऐसे होंगे जो 1 साल बाद वापस लौट जाएंगे।

बेरोजगारी में भी काफी बढ़त देखी गई है जिसके कारण विदेशियों की नियुक्ति को मेजबान सरकार ने बहुत कठिन बना दिया है। मलेशिया जैसे देश में कंपनियां केवल विदेशियों को उन्हें स्थितियों में नौकरी देगी जब कोई स्थानीय व्यक्ति मौजूद ना हो या उपलब्ध ना हो। वही सिंगापुर जैसे देश में 45 कंपनियों के खिलाफ एक जांच शुरू की है। यह जांच इस आरोप के लिए की गई है, कि वह स्थानीय लोगों को अवसर नहीं दे रही है। कई एशिया के देश ऐसा मानते हैं, कि बिना किसी परमिशन के जो लोग देश छोड़कर चले जाएंगे उनके रहवासी परमिट को रद्द कर दिया जाएगा।

पुराना ट्रेंड

एक इक्विपमेंट कंपनी रोबोट ऑडिटर्स प्रमुख व्यक्ति की माने तो कुवैत की वजह से ट्रेनों में काफी बदलाव देखने को मिला है यह कैंड पहले से चल रहे थे लेकिन अब और तेज हो गए हैं एशिया के देशों ने होना शिक्षा और भाषा जैसी चीजों में बहुत अधिक सुधार किया है हांगकांग में चीन का प्रभाव पड़ गया है जिससे वहां की कंपनियों को भंडारे में बोलने वालों के लोगों की आवश्यकता बढ़ गई है वहीं यदि इन्वेस्टमेंट बैंकों में विदेशों की मात्र 20% संख्या रह गई है जो ग्रह को निपटाने में लगे थे यदि 5 साल पहले की बात करें तो यह संख्या 35% हुआ करती थी।

 

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