Saturday, May 18, 2024
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दर्दनाक है इटली में कोरोनावायरस का कहर

by Divyansh Raghuwanshi
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कोविड-19 बेहद खतरनाक में बीमारी है। इटली में इसने भयंकर रूप ले लिया है। जिन लोगों की कोविड-19 से मृत्यु हो रही है। आखिरी वक्त में उनके पास कोई नहीं है। संक्रमित बीमारी होने के कारण अस्पताल में मरीजों से परिवारजनों को भी मिलने नहीं दिया जाता। ऐसे में व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिवार का कोई भी सदस्य उनके पास नहीं रहता। यह वायरस मरने वाले व्यक्ति के कपड़ों पर कुछ घंटों तक जीवित रहता है। इस कारण से मृत्यु होने वाले व्यक्ति के शव को सील कर दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सब के अंतिम संस्कार के लिए आखिरी बार प्रिय जन उन्हें देख भी नहीं पाते इस पर भी पाबंदी लगी हुई है। सोचिए आप यह बीमारी किस कदर संक्रमण को फैलाती है। अपनों का साथ में आखिरी वक्त में नहीं मिलता।

शवों को दफनाने की क्रियाdeath at home the unseen toll of italys coronavirus crisis

अस्पताल में ही मृत व्यक्ति के शव को सील कर दिया जाता है। व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे परिजन पसंदीदा कपड़े पहन आते हैं, सजाते हैं और अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं, लेकिन इटली मैं हालात को देखते हुए अस्पताल में ही गुपचुप तरीके से शवों को दफनाया जा रहा है। कोविड-19 महामारी मैं लोगों को मृत्यु के बाद भी अंतिम संस्कार का अधिकार नहीं मिल रहा। संक्रमण फैलने के डर से अस्पताल ने उस समय जो सुविधा उपलब्ध होती है उसी में अंतिम संस्कार कर देते हैं। कई तो परिवार वाले शव के ऊपर डालने के लिए कपड़े दे जाते हैं उन्हीं की डालकर दफना दिया जाता है।

इटली में अंडरटेकर की भूमिकाmerlin 170410329 41442a1b 44e6 425a 91f5 11ba9e0faf04 mediumSquareAt3X

कोविड-19 महामारी में अंडरटेकर ही मरीजों की मृत्यु होने पर परिजन की तरह कार्य करते हैं और पादरी की तरह जन्नत के लिए प्रार्थना करते हैं। अंडरटेकर की भूमिका अहम हो गई है। उस समय उनसे जो बन पड़ता है मरने वाले के लिए करते हैं। अपने प्रिय जनों को इस तरह मरते देखना दुखदाई है। आखिरी समय में अपनों को अंतिम संस्कार करने का भी मौका नहीं मिलता। कोविड-19 का वायरस खांसने और छींकने से मुंह से निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों से फैलता है। वायरस दरवाजों का हैंडल लिफ्ट बटन और धातु जैसी सतह पर 48 घंटे एक्टिव रहता है। इस कारण मास्क पहने और बार बार हाथ धोने पर ध्यान दिया जाता है। वायरस जब फेफड़ों में पहुंचता है तो वहा एअरसेक बनाने लगता है। जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है और निमोनिया वह जाता है।

दुनिया में बड़े पैमाने पर सैनिटाइजर बनाने का काम

हर जगह बाजार हो, सड़क हो या सोसाइटी सभी को सैनिटाइजर किया जा रहा है। दफ्तर हूं मैं साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जा रहा है कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है हर तरह से कोरोनावायरस को खत्म करने का कार्य जारी है। दुनिया जल्दी से जल्दी इस वायरस से उबरना चाहती है। लोगों को कब तक घर में लाकडाउन करके रख सकते हैं। सोशल डिस्टेंस से ही कोरोना को हराया जा सकता है। दुनिया में जब पहला विश्व युद्ध खत्म हुआ था। एक वायरस में एक चौथाई आबादी को नष्ट कर दिया था। लगभग 10 करोड़ लोगों ने जान गवाई थी। कोविड-19 वैक्सीन इतने जल्दी नहीं बन सकती। मौसम के चक्र से इस वायरस में कुछ असर जरूर पड़ेगा। 5 दिनों के अंदर इस वायरस के लक्षण शरीर में दिखने लगते हैं। 14 दिन में पूरी तरह से कोविड-19 के लक्षण दिखाई देते हैं। पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर ही घबराना नहीं चाहिए। अपने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए और इस बीमारी से बाहर आने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

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