Tuesday, May 7, 2024
hi Hindi

काम और रिश्तों के बीच ज़रूरी है तालमेल

by Nayla Hashmi
268 views

आज सब कुछ बदल गया है। हमारा शहर, हमारी ज़रूरतें, हमारा काम और यहाँ तक कि रिश्तों के मायने भी! 

इन सब चीज़ों के लिए हम किसी एक पर्टिकुलर चीज़ को ब्लेम नहीं कर सकते हैं लेकिन इतना ज़रूर कह सकते हैं कि हमारे रिश्तों के मायने कहीं न कहीं हमारे काम की वजह से प्रभावित हो रहे हैं।

E0E76776 C319 4BA9 9907 94D183BF3F76

जी हाँ, रिश्तों को सबसे ज़्यादा दरकार समय की होती है! भले ही हम किसी को कम समय दें लेकिन जितना समय दें पूरी तरह दें! रिश्तों की यह डिमांड आजकल हम ढंग से पूरी कर पाने में असमर्थ हैं।दरअसल आज हमारे ऊपर हमारे काम का इतना बर्डन है कि हमें अपने करीबियों के साथ समय बिताने का मौक़ा नहीं मिल पाता है।

C0C2C895 14D8 4BB6 9B64 2A7911E8D4B9

अगर हम अपने रिश्तेदारों के साथ समय बिताते भी हैं तो ऐसे में हमें यही सोच सताती रहती है कि हमारा छूटा हुआ काम कैसे पूरा होगा? होता ये है कि जो टाइम हम उनको देते हैं वो न तो क्वालिटेटिव होता है और न ही क्वांटिटेटिव!

देखने में तो यह बहुत ही कॉमन और छोटी सी बात लगती है लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं वो शायद ही हमें पता हो! आइए आपको बताते हैं कि जब हम काम और रिश्तों के बीच तालमेल नहीं बिठा पाते हैं तो ऐसे में वास्तव में क्या होता है?

  • आपसी तनाव

D7EB12EF AE7F 411C 83E3 4BD357363DC5

जब हम अपने रिश्तेदारों या अपने पार्टनर को समय नहीं दे पाते हैं अर्थात ज़्यादा वक़्त काम में ही बिताते हैं तो ऐसे में उन्हें लगता है कि हमें उनकी बिलकुल भी फिक्र नहीं है। ऐसे में उनका बिहेवियर हमारे प्रति बदलने लगता है जिससे कि आपसी तनाव उत्पन्न हो जाता है।

  • लड़ाई झगड़े बढ़ जाते हैं

E0EC6E36 D116 4EC4 82F2 3693E10C7D6B

काम और रिश्तों के बीच तालमेल न होने का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट ये होता है कि हमारे और हमारे रिश्तेदारों या पार्टनर के बीच झगड़े बढ़ जाते हैं। यहाँ तक कि एक छोटी सी बात का बतंगड़ बनने में समय नहीं लगता है!

कभी कभी तो बात इतनी बढ़ जाती है कि संभालना मुश्किल हो जाता है और किसी काउंसलर या किसी अन्य व्यक्ति की मदद लेनी पड़ती है ताकि रिश्ते को बचाया जा सके।

  • निराशा का जन्म होता है

75D69335 26A0 4EB3 ABA2 A073BFC61F81

जब हमारा काम हमारे रिश्तों पर हावी हो जाता है तब हम अपनों से काफ़ी दूर हो जाते हैं। कभी कभी तो यह दूरी इतनी बढ़ जाती है कि दुख के समय हमारे पास सांत्वना देने के लिए कोई भी मौजूद नहीं होता! परिणाम स्वरूप हम टेंशनायड हो जाते हैं जिससे कि हमारे अंदर निराशा का जन्म हो जाता है।

  • ज़िम्मेदारियां लगती हैं पहाड़ 

D1497CFD 99E4 473D 93CB A4D60DED5E23

जब हमारे ऊपर काम का बर्डन बढ़ जाता है तो हमारे लिए ये बहुत मुश्किल हो जाता है कि हम अपने के लिए समय निकाल पाएँ। जब बार बार हमें अपनों के लिए समय निकालना हेतु में सोचना पड़ता है तो ये हमें काफ़ी मुश्किल लगता है। नतीजा यह निकलता है कि हमारी ज़िम्मेदारियाँ हमें किसी पहाड़ से कम नहीं लगती हैं।

  • संवेदनशीलता घट जाती है

671D4A41 9C52 4EA5 B9A9 41F49AF92183

हालाँकि हम जानते हैं कि काम के बिना गुज़ारा नहीं है लेकिन हर वक़्त काम के बारे में ही सोचना और काम पर ही ध्यान देना ग़लत है। जब हम अपनों के लिए समय निकाल ही नहीं पाते हैं तो ऐसे में धीरे धीरे हमारे लिए उनकी महत्वता घटने लगती है।

एक वक़्त ऐसा आता है कि हमारी संवेदनशीलता उनके लिए इतनी घट जाती है कि हमें फ़र्क ही नहीं पड़ता है कि उन्हें क्या समस्या है और क्या ख़ुशी! हमारी अपनी एक अलग दुनिया बस जाती है जिसमें कि सिर्फ़ हम होते हैं और हमारा काम! यक़ीन मानिए ये किसी भी लिहाज़ से नॉर्मल नहीं है।

अगर हम चाहते हैं कि हम एक नॉर्मल इंसान कहलाए जाए तो ये बहुत ज़रूरी है कि हमारी ज़िंदगी में चीज़ों का एक बैलेंस रूप हो। फिर चाहे यह काम हो या फिर हमारे रिश्ते। रिश्तों में तालमेल हम निम्नलिखित तरीक़ों से बिठा सकते हैं।

1. ओवरटाइम से बचें

1E87B8F6 3FC0 4DBE 926C 89E38F57A958

कभी कभी हम भी अपने काम के प्रति इतने डिपो टेड हो जाते हैं कि हम ओवरटाइम करने लगते हैं तो यह भी एक रीज़न है कि हमारा एक विकेट और हमारा क़ीमती समय हमारे काम में ही निकल जाता है बेहतर है कि ओवरटाइम से बचा जाए।

2. लालच से दूर रहें 

4B578D78 8C49 459A 9FF1 AFA6420D7040

जैसा कि हमने कहा कि हमें ओवरटाइम से बचना चाहिए ताकि हम अपना समय अपने रिश्तों पर डिवोट कर सकें। हमने ओवरटाइम का एक रीज़न भी बताया कि हम अपने काम के प्रति समर्पित होकर ओवरटाइम करते हैं। ये तो रीज़न है ही लेकिन ओवरटाइम का दूसरा बड़ा रीज़न या तो लालच होता है या फिर मजबूरी!

अगर ओवरटाइम किये बिना आप अपनी फ़ैमिली का गुज़ारा नहीं कर सकते तो आप ओवरटाइम को एक बार कनसीडर कर सकते हैं लेकिन यदि आप किसी इस्पैसिफ़िक ईनाम या पैसे की लालच में ओवरटाइम करते हैं तो फ़ौरन सतर्क हो जाइए क्योंकि जब आपके रिश्ते ही नहीं रहेंगे तो इन चीज़ों का होना या न होना कोई मायने ही नहीं रखेगा।

3. रिश्तों के मामले में प्रैक्टिकल नहीं इमोशनल

32729078 80AD 4BA8 B6B9 F90DAC1B5293

वैसे तो हमें प्रेक्टिकली सोचना चाहिए ताकि अगला बंदा हमारा लाभ न उठा सके लेकिन बात जब रिश्तों की आती है तो वहाँ पर यह लॉजिक कार्य नहीं करता है।

रिश्तों के मामले में हमें प्रैक्टिकली सोचने के बजाय इमोशनल होना चाहिए ताकि अपनों के लिए हमारा प्यार सदा क़ायम रहे।कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि हमें दिमाग़ के बजाए दिल की सुनना चाहिए बात यदि रिश्तों की हो तो।

 4. क्वांटिटी नहीं बल्कि क्वालिटी

617530A7 6F38 4CFA 8704 3EC03D415CE5

वैसे तो रिश्तों में तालमेल बिठाना ज़रूरी है, ये बात हमें कोई और नहीं समझा सकता जब तक कि हम ख़ुद इस चीज़ को ना मान लें और जब हम इस चीज़ को मान लेते हैं तो हम अपनों के लिए समय ज़रूर निकाल लेते हैं।

अब बात आती है कि यदि हमें अपनों के लिए बहुत कम समय ही मिल पा रहा है तो बजाय इसके कि हम निराश हों बल्कि हमें उसका सदुपयोग करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब हम अपनों के साथ हों तो फिर चाहे कितने ही कम समय के लिए ही क्यों न हो पूरी तरह से उनके साथ हों अर्थात हम उनके साथ जो भी समय बिताएँ वह क्वालिटेटिव हो ताकि ज़िंदगी को ख़ुशगवार बनाया जा सके।

तो ये रही रिश्तों में तालमेल बिठाने की कुछ विधियां! उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। भविष्य में भी हम आपके लिए कुछ ऐसे ही सुझावों को पेश करते रहेंगे ताकि आपको किसी मोड़ पर कोई समस्या न हो। यदि आपका इस लेख से संबंधित कोई भी सवाल या सुझाव हो तो आप उसे कमेंट पेटिका में बेझिझक लिख सकते हैं।

SAMACHARHUB RECOMMENDS

Leave a Comment