Friday, April 26, 2024
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रिश्तों (Relationship) में मर्यादा टूटने की क्या है असल वजह?

रिश्तों – Relationship में मर्यादा टूटने की क्या है असल वजह?

by Nayla Hashmi
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आज के बदलते वैज्ञानिक दौर में कहीं न कहीं हम अपने रिश्तों (Relationship) की मर्यादा और मूल्यों को खोते जा रहे हैं। आज हम देख सकते हैं कि किस तरह परिवार टूट रहे हैं और किस तरह लोग एक दूसरे से मुँह मोड़कर जी रहे हैं। यह वास्तव में हिला देने वाली चीज़ है। वैसे तो इस तरह के टॉपिक पर बात करने के लिए आज लोगों के पास वक़्त नहीं है लेकिन ये टॉपिक वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण है। आज हम इस लेख में रिश्तों (Relationship) की मर्यादा टूटने की असल वजह पर चर्चा करेंगे। ये ज़रूरी है कि आप अपने बिज़ी शेड्यूल से थोड़ा सा समय निकालकर यहाँ दी गई बातों पर ग़ौर करें। आइए देखते हैं वो कारण जिसकी वजह से रिश्तों की मर्यादा या अहमियत कम होती होने लगती है।

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1. समय की कमी – Relationship

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जी हाँ, ये सबसे बड़ा कारण है जो ना सिर्फ़ रिश्तों को तोड़ने की क्षमता रखता है बल्कि रिश्तों (Relationship) में व्याप्त मर्यादा को भी ख़त्म कर देता है। हम जानते हैं कि आज लोगों के पास इतना काम होता है कि वे अपने करीबियों के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में वे कहीं न कहीं अपने रिश्तों (Relationship) को खोते चले जाते हैं और फिर उनके और उनके रिश्तेदारों या करीबियों के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं।

एक समय ऐसा होता है कि जब वह अपनों से फॉर्मेलिटी और गैरों की तरह मिलने लगते हैं। उनके अपने रिश्तों (Relationship) की मर्यादा धीरे धीरे ख़त्म होने लगती है। इसलिए ज़रूरी है कि समय की कमी को पूरा करने के लिए कोई न कोई बीच का रास्ता निकाला जाए। अगर आप अपनों से ही मिल नहीं पाते हैं तो ऐसे में कभी कभी उन्हें कॉल या मैसेज कर सकते हैं।

2. स्वार्थ की भावना – Relationship

वैसे तो लोग समय की कमी के कारण अपने रिश्तों (Relationship) की मर्यादा को क़ायम नहीं कर पाते हैं लेकिन कभी कभी समय रहते हुए भी वे अपनों से नहीं मिलते। दरअसल होता ये है कि जब उनके पास थोड़ा सा समय होता है तो में सोचते हैं कि ये समय वह ख़ुद के साथ बिताएंगे। ऐसे में वे या तो फ़ोन में लग जाते हैं या फिर कोई और ऐसा कार्य करते हैं जो उन्हें पसंद है।

हम ये नहीं कह रहे कि इस तरह के काम करना ग़लत है बल्कि स्वार्थ की भावना मन में पनपने देना ग़लत है। आपको जो थोड़ा समय मिलता है आप बेशक़ उसमें वो सारे काम कीजिए जो आप करना चाहते हैं और जिनसे आपको ख़ुशी मिलती है लेकिन उसी समय में से थोड़ा समय निकालकर अपने रिश्तों (Relationship) की तरफ़ भी देख लीजिए। इससे रिश्ते मज़बूत होंगे और आप ये देख पाएंगे कि वास्तव में रिश्तों (Relationship) की मर्यादा क्या होती है।

3. विज्ञान का ग़लत यूज़ – Relationship

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विज्ञान एक ऐसी चीज़ है जो आपको बना भी सकती है और आपको तबाह भी कर सकती है। ये आप पर डिपेंड करता है कि आप विज्ञान को किस प्रकार इस्तेमाल कर रहे हैं। आज यदि हम देखें तो बच्चे विज्ञान के द्वारा दिए गए मोबाइल फ़ोन और टेक्नोलॉजी में इतने रम गए हैं कि उन्हें अपने बड़ों की कोई फिक्र नहीं होती है।

मोबाइल फ़ोन के ज़रिए परोसा गया ज्ञान कई बार ऐसा होता है जिससे ना सिर्फ़ बच्चे का व्यवहार ख़राब होता है बल्कि उसके चरित्र का पतन भी होता है। पहले ज़माने में दादा-दादी, नाना-नानी और ऐसे कई रिश्ते होते थे जिनसे बच्चे ख़ास करके क़रीब होते थे लेकिन आज वे फ़ोन और कंप्यूटर में लगे रहते हैं। कई बार तो वे अपने रिश्तों (Relationship) से इरिटेट भी हो जाते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आजकल बच्चे रिश्तों (Relationship) की अहमियत पर ग़ौर नहीं करते हैं। 

कहीं न कहीं इसके लिए विज्ञान ज़िम्मेदार है लेकिन सीधे तौर पर यदि कहें तो इसके लिए माँ बाप ज़िम्मेदार है। माँ बाप की ज़िम्मेदारी होती है कि वे अपने बच्चों पर नज़र रखें और रिश्तों (Relationship) की मर्यादा पर से सम्बंधित ख़ास चर्चा बच्चों से करें।

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4. लालच की भावना (Relationship)

आज कल रिश्तों (Relationship) की नींव पैसों पे रख दी गई है। आज का इंसान सिर्फ़ उसी इंसान से रिश्ता (Relationship) रखना पसंद करता है जिससे उसका फ़ायदा हो। उसके अंदर इतना लालच आ गया है कि वह रिश्तों (Relationship) को पैसों से तोलने लगा है। ऐसे में रिश्तों की अहमियत कम नहीं होगी तो क्या होगी।

आज लोग अपने रिश्तों (Relationship) को ठुकराकर दूसरों के पास चले जाते हैं क्योंकि उनके अंदर लालच का भाव होता है। जब उनके अपने करीबियों के पास पैसा नहीं होता तो वे उनको ठोकर मार देते हैं और गैरों का पैसा देखकर उनकी तरफ़ बढ़ते हैं। यक़ीन करिए ये एक बेहद चिंताजनक बात है क्योंकि आपके बुरे वक़्त में आपके अपने आपके साथ खड़े होंगे ना कि वे जिनके पैसों की चमक आपको अंधा करती है।।

Conclusion

यहाँ हमने चार बातें है जो वास्तव में सोचनीय है। हो सकता है कि हमारे द्वारा कही गई बातें थोड़ी सी कड़वी हों लेकिन ज़रा ग़ौर करके देखें  कि क्या ये सत्य नहीं है। आज हम अपने रिश्तों (Relationship) की मर्यादा को जिस तरह खोते जा रहे हैं वो काफ़ी भयावह है। ज़रूरी है कि हम इस टॉपिक को गंभीरता से लें।

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