आज कल के समय में विदेश जा कर पढ़ना बहुत आम हो गया है, लेकिन फिर भी आज बहुत से लोग यह सपना तो जरूर पिरोते हैं कि वह विदेश जा कर पढ़ाई करेंगे, मगर कभी खर्च तो कभी प्रोसेस न पता होने के चलते इस सपने को मार भी देते हैं। अगर आप भी विदेश जा कर पढ़ना चाहते हैं तो आपके दिमाग से कुछ विचारो को खत्म कर दे, तभी आप वहीं जा कर अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे। चलिए जानते हैं आखिर ऐसी कौन सी गलतफहमिया है जिसकी वजह से लोग विदेश जा कर पढाई नहीं कर पाते
खर्च को लेकर गलतफहमी
भारत में ज्यादातर लोग या यूं कहे कि मध्य वर्गीय परिवार इस बात से बेहद घबराते हैं कि विदेश में जा कर पढ़ाई करना बहुत खर्चीला सौदा है। लेकिन ऐसा नहीं है अगर आप विदेश जा कर पढ़ना चाहते हैं तो आप स्कॉलरशिप जीत कर भी जा सकते हैं ऐसे में आपका खर्चा बहुत ही कम हो जाएगा।
विदेशी डिग्री की वेल्यू नहीं
यहां के कुछ छात्र अपने दिमाग में यह बात भी रखते हैं कि विदेशी डिग्री की वे्ल्यू उतनी नहीं होती। जबकि यह बिलकुल झूठ है। विदेश से प्राप्त की गई क्वलिफिकेशन काफी बेहतर मानी जाती है, इसका कारण यह भी है कि आप विदेश जा कर आप एक अतिरिक्त भाषा भी सीख जाते हैं। अतिरक्त भाषा का होना अपने आप में बेहद फायदेमंद रहता है ऐसे में आप जिस भी कंपनी में नौकरी के लिए जाते हैं आप वहा के लिए एक अलग वेल्यू एड कर रहे होते है।
अंग्रेजी नहीं तो कुछ नहीं
हमारे देश में एक भाषा की बहुत हवा बनाई जाती है और वह है अंग्रेजी। ज्यादतर छात्र इस बात को अपने दिला में मान बैठे है कि बिना अंग्रेजी वह विदेश में सरवाइव ही नहीं कर पाएंगे या फिर वह विदेश जा ही नहीं पाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं है ज्यादातर देशो में अंग्रेजी नही बल्कि वहां कि लोकल लैंग्वेज बोली जाती है, साथ ही वहां लोगों को अलग अलग भाषा की क्लास भी दी जाती है।
मौके नहीं
भारतीय छात्रों को ऐसा भी लगता है कि विदेश में पढ़ाई करने के लिए अधिक स्कॉलरशिप है ही नहीं, बल्कि विदेश में पढ़ाई के लिए बहुत सी सरकारी और निजी संस्थाएं है जो स्कॉलरशिप देती हैं। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारो के लिए ओर भी बेहतर विकल्प मौजूद हैं। बस जरूरत है तो खुद को अवेअर करने की
माता पिता की सोच
एक गलतफहमी जो माता पिता रखते हैं वह यह है कि वहां सिर्फ मौज मस्ती होगी पढ़ाई तो होगी नही। जबकि इसके विपरित जब भी आप विदेश में किसी कोर्स की पढ़ाई के लिए जाने जाते हैं तो वहां आपको उस कोर्स के अलावा बहुत कुछ सीखने को मि्लता है। वहां के कल्चर के मुताबिक छात्रो की ग्रुमिंग पर बहुत ध्यान दिया जाता है। वहां केवल छात्रो को रट्टू तोता नहीं बनाया जाता उनकी ओवर ऑल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाता है।