Friday, May 17, 2024
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अंतरिक्ष में इस महिला का अनोखा रिकॉर्ड

by Divyansh Raghuwanshi
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क्रिस्टीना कोच एक अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय रहने वाली महिला बनने का रिकॉर्ड बना दिया है। वह 328 दिन तक अंतरिक्ष में रही और कई वैज्ञानिक प्रयोग किए तथा कई मिशन पूरे किए। यह पहली बार है, जब कोई महिला इतने लंबे समय अंतरिक्ष में रही हो। इससे पहले यह रिकॉर्ड एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री के पास था। उनका नाम पेगी विटसन था। वह 228 दिन अंतरिक्ष में रही। नासा के अनुसार क्रिस्टीना के इस मिशन से चंद्र और मंगल मिशन से जुड़े हुए कई अहम पहलु मिले हैं। उनके साथ रूस के यात्री अलेक्जेंडर और यूरोप की अंतरिक्ष यात्री लूका परमितानो फरवरी 2020 में अंतरिक्ष से वापस आने वाली हैं। यह उनका प्रथम अंतरिक्ष मिशन था।

328 रही स्पेस मेंchristina koch sets new record for longest spaceflight by a woman

उन्होंने अपने प्रथम मिशन में ही सबसे ज्यादा समय अंतरिक्ष में रहने वाले लोगों की सूची में अपना नाम डाल दिया। इस सूची में सबसे पहला स्थान एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री का है और वह 340 दिन अंतरिक्ष में रहकर आए थे। 328 दिन के साथ वह इस सूची में दूसरे नंबर पर आ गई है। यही नहीं वह अंतरिक्ष में धरती के 5248 चक्कर लगाकर आई है। यह चक्कर लगाने में उन्होंने 13.9 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पूरी की। यह दूरी लगभग 291 बार चांद पर जाकर फिर से वापस आने की हो जाती है। इसी के साथ वह अपनी यात्रा में करीब छह अंतरिक्ष स्टेशनों से बाहर निकलकर 42 घंटे 15 मिनट तक बाहर रही। अपने अंतिम स्पेसवॉक उन्होंने जेसिका मीर के साथ की। यह पहली बार इतिहास में हुआ जब केवल महिलाओं के दल के द्वारा स्पेसवॉक की गई हो।christina koch 1555576343

क्रिस्टीना द्वारा उनके स्पेस मिशन में करीब 200 अनुसंधान में हिस्सा लिया गया। यह सभी अनुसंधान नासा के आने वाले सभी मंगल मिशन और चंद्र मिशन में बहुत सहायक होंगे। इसके अलावा उन्होंने कई प्रयोग भी किए जिसमें कई अध्ययन शामिल थे जैसे अकेलेपन, तनाव और शरीर पर प्रभाव जैसे अध्ययन। उन्होंने एक अध्ययन किया जिसमें अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मांसपेशी और मेरुदंड की हड्डी में होने वाले प्रभाव के बारे में पता चला। यह अंतरिक्ष यात्रा के हिसाब से एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्ययनों में से एक था।

कैंसर से जुड़े अनुसंधानAstronaut Christina Koch

इसके अलावा और भी कई अनुसंधान में उन्होंने हिस्सा लिया जैसे माइक्रोग्रैविटी क्रिस्टल। इस अनुसंधान में ट्यूमर का बढ़ना और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए प्रोटीन को क्रस्टलाइज करते हैं। यह सभी अनुसंधान स्पेस में करना बेहद आवश्यक थे। धरती में इन सभी अनुसंधान के किए जाने पर क्रिस्टलाइजेशन के सही या संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पाए थे। इन अनुसंधानों की सफलता को अंतरिक्ष में प्रयोग करने से ज्यादा बताई जा रही थी। यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसकी वजह से कैंसर के कई जरूरी इलाज संभव हो जाएंगे। इन प्रयोगो से साइड इफेक्ट कम होने जैसे इलाज मिल पाएंगे। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में ऐसे कई प्रयोग होते ही रहते हैं। स्वास्थ्य और अन्य चीजों से जुड़े प्रयोग शुरुआत से ही होते रहे हैं किंतु अब इन्हें बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही वर्तमान में इन प्रभावों का आकलन भी शुरू कर दिया गया है।

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