GST (GOODS AND SERVICE TAX)
- जीएसटी यानी कि वस्तु एवं सेवाकर वहीं अगर आम भाषा में कहें तो ‘एक देश एक कर’ 1 जुलाई से देशभर में लागू हो जाएगा।
- जीएसटी काउंसिल की अगली मीटिंग 30 जून को है।
- जीएसटी को आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार माना जा रहा है।
- माना जा रहा है कि इस नए अप्रत्यक्ष बिक्री कर से जीडीपी की वृद्धि दर में दो प्रतिशत का इजाफा होगा और इससे कर चोरी पर अंकुश लगेगा।
- जीएसटी लागू होने से केंद्रीय उत्पाद, सेवा कर, वैट और अन्य स्थानीय शुल्क खत्म हो जाएंगे
- जीएसटी परिषद ने 1,200 वस्तुओं और 500 सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 फीसदी के कर ढांचे में रखा है। जीएसटी के तहत गोल्ड पर 3% टैक्स लगाया जाएगा।
- कई जरूरी चीजों को NIL स्लैब में रखा गया है यानि कि इन पर टैक्स नहीं लगेगा
विश्व के कई अन्य देशों में भी जीएसटी व्यवस्था है:
- भारत में जीएसटी का विचार सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में साल 2000 में आया था।
- विश्व के करीब 165 देशों में जीएसटी व्यवस्था लागू है
- न्यूजीलैंड में 15 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 10, फ्रांस में6, जर्मनी में 19, स्वीडन और डेनमार्क में 25 प्रतिशत जीएसटी है। पाकिस्तान में भी 18 फीसदी जीएसटी लागू है।
लोकसभा से पास हुआ जीएसटी बिल
- 29 मार्च 2017 को लोकसभा ने केंद्रीय माल एवं सेवा कर बिल 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर बिल 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को पास किया।
- जीएसटी को मनि बिल के रूप में पेश किया गया था।
- पीएम मोदी ने लोकसभा से विधेयकों के पारित होने के तुरंत बाद ट्विटर पर लिखा, ‘जीएसटी विधेयक पारित होने पर सभी देशवासियों को बधाई. नया साल, नया विधेयक, नया भारत.’
राज्यसभा से पास हुआ जीएसटी बिलकेंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी विधेयक), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी विधेयक), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी विधेयक) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को पास किया।
- जीएसटी मणि विधेयक के रूप में पेश किया गया था इसलिए इन विधेयक पर सिर्फ राज्यसभा में केवल चर्चा का अधिकार था।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लगाई मुहर
- 13 अप्रैल 2017 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी से जुड़े चारो विधेयकों को मंजूरी दे दी। जिसके बाद राज्य विधानसभाओं से राज्य-जीएसटी विधेयक पास कराना था।
सभी राज्य विधानसभाओं ने पास किया जीएसटी
- जीएसटी लागू करने से पहले कुल विधानसभाओं में से कम से कम आधे से इसे पास कराना था मगर सभी राज्यों ने इसे पास कर दिया है।
- तेलंगाना (अप्रैल 9, 2017), बिहार (अप्रैल 24), राजस्थान (अप्रैल 26), झारखंड (अप्रैल 27), छत्तीसगढ़ (अप्रैल 28), उत्तराखंड (मई 2), मध्य प्रदेश (मई 3), हरियाणा (मई 4), गुजरात (मई 9), गोवा (मई 9), ओडिशा (मई 11), असम (मई 11), अरुणाचल प्रदेश (मई 12), उत्तर प्रदेश (मई 16), आंध्र प्रदेश (मई 16), पुडुचेरी घ मई 17), महाराष्ट्र (मई 22), त्रिपुरा घ मई 24), सिक्किम (मई 25), मिजोरम (मई 26), नागालैंड (मई 27), हिमाचल प्रदेश (मई 27), दिल्ली (मई 31), मणिपुर (जून 5), मेघालय (जून 12), कर्नाटक (जून 16), पंजाब (जून 19), तमिलनाडु (जून 19), पश्चिम बंगाल ने फिलहाल अध्यादेश जारी किया है (जून 15), केरल ने भी अध्यादेश जारी किया है (जून 21)
केंद्र और राज्यों को 20 टैक्सों की जगह एक जीएसटी टैक्स होगा
- फिलहाल गुड्स (सामान – करीब 18 अलग अलग टैक्स) और सर्विस (सर्विस टैक्स) पर अलग -अलग टैक्स लगते हैं। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत माल और सेवा दोनों पर जीएसटी ही लगेगा।
केंद्रीय करों में
- सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी
- एडिश्नल एक्साइज ड्यूटी
- स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम्स
- मेडिसिनल एंड टॉयलेट प्रिपरेशंस (एक्साइज ड्यूटी) एक्ट 1955 के तहत एक्साइज ड्यूटी
- सर्विस टैक्स
- एडिशनल कस्टम्स ड्यूटी
- सेंट्रल सरचार्ज और सेस
राज्य कर
- वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) / सेल्स टैक्स
- लॉटरीज, बेटिंग एंड गैंबलिंग टैक्स
- एंटरटेंमेंट टैक्स
- सेंट्रल सेल्स टैक्स
- ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स
- परचेज टैक्स
- लग्जरी टैक्स
- स्टेट सेस एवं सरचार्ज
जीएसटी लागू होने पर वस्तुओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे
- पहला सीजीएसटी– सेंट्रल जीएसटी जो केंद्र सरकार वसूलेगी
- दूसरा एस जीएसटी– स्टेट जीएसटी जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी और
- तीसरा आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी– दो राज्यों के बीच कारोबार पर लगने वाला आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी। इसे केंद्र सरकार वसूलेगी और दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा।
ई-कामर्स, नई कंपनियों के लिए जीएसटी पंजीकरण 25 जून 2017 से
- ई-कामर्स परिचालकों तथा टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) काटने वाले 25 जून से खुद का जीएसटी नेटवर्क पर पंजीकरण करा पाएंगे। उस दिन पोर्टल नए पंजीकरणों के लिए फिर खुलेगा।
- इसके अलावा मौजूदा उत्पाद, सेवा कर और मूल्य वधर्ति कर (वैट) देने वालों को जीएसटीएन पोर्टल पर स्थानांतरण के लिए एक और मौका मिलेगा, क्योंकि उनके लिए भी पंजीकरण 25 जून को खुला जो तीन महीने तक जारी रहेगा। जीएसटीएन पोर्टल 25 जून से पंजीकरण के नए आवेदन स्वीकार कर रहा है।
- जीएसटी व्यवस्था में कारोबार करने के लिए जीएसटीएन पर पंजीकरण जरूरी है। कारोबारियों को इस पोर्टल पर मासिक आपूर्ति आंकड़े डालने होंगे और रिटर्न फॉर्म दाखिल करना होगा।
मुनाफाखोरी रोकने के लिए एंटी प्रॉफिटियरिंग नियम बनाए गए हैं
- 30 जून की आधी रात यानि कि 1 जुलाई से जीएसटी लागू हो जाएगा
- इनपुट यानी फाइनल प्रॉडक्ट बनाने में जिस चीज का इस्तेमाल होता है, उस पर टैक्स रिफंड भी आसानी से मिलने लगेगा। सरकार चाहती है कि इसका फायदा ग्राहकों को मिले। इसलिए जीएसटी कानून में एंटी-प्रॉफिटियरिंग का क्लॉज रखा गया है। इससे कंपनियां जीएसटी से होने वाले फायदे को अपने पास नहीं रख पाएंगी।
- जीएसटी एक्ट में एक प्रोविजन है, जिससे केंद्र सरकार को जीएसटी लागू होने के बाद कंपनियां प्रॉडक्ट्स या सर्विसेज के दाम में क्या बदलाव करती हैं, उस पर नजर रखने के लिए कोई संस्था बनाने का अधिकार है। इससे यह पक्का किया जाएगा कि कंपनियां टैक्स बदलाव का मुनाफा अपनी जेब में ना रखें और उसका फायदा ग्राहकों को मिले।
- ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया में हाल में जीएसटी कानून लागू हुआ है, जिसमें ऐसी शर्त रखी गई थी। भारत ने इस बारे में दोनों देशों की राय ली है।
- भारत में इसे लागू करने के लिए त्रिस्तरीय ढांचा बनाया गया है। जीएसटी काउंसिल ने एक स्टैंडिंग कमेटी बनाई है, जिसके पास ग्राहक शिकायत भेज सकेंगे। शिकायत देखने के बाद कमेटी उसे डायरेक्टर जनरल ऑफ सेफगार्ड्स के पास फॉरवर्ड करेगी, जो ग्राहक के लगाए आरोपों की जांच करेंगे। इस जांच के नतीजे आखिरी फैसले के लिए इंडिपेंडेंट एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी को दिए जाएंगे। अथॉरिटी के पास दोषी कंपनी पर पेनाल्टी लगाने, एक्स्ट्रा रकम को वापस करने का आदेश देने और कंपनी का लाइसेंस कैंसल करने तक का अधिकार होगा। अथॉरिटी का वजूद सिर्फ शुरू के दो साल तक रहेगा।
इस प्रोविजन से इंडस्ट्री में डर का माहौल
- इंडस्ट्री को डर है कि इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी होगी। अगर कच्चे माल की कीमत बढ़ने के चलते प्रॉडक्ट्स का दाम बढ़ता है तो उसकी भी जांच की जा सकती है। हालांकि, इस समस्या को हल करने करने के लिए कुछ उपाय किए गए हैं। अथॉरिटी अपने आप कंपनी के खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती। वहीं, जो भी शिकायत की जाएगी, उसके लिए ऐसे दस्तावेज देने होंगे, जिनसे साबित हो कि टैक्स बेनेफिट का फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है।
जीएसटी लागू होने के बाद छोटे कारोबारियों को भरने होंगे 37 टैक्स रिटर्न्स
- ‘इंडिया स्पेंड’ वेबसाइट के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद एक राज्य में कारोबार करने वाली किसी भी छोटी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी को भी 13 की बजाय 37 टैक्स रिटर्न्स दाखिल करने होंगे।
- कारोबारियों को हर महीने तीन तरह के रिटर्न दाखिल करने होंगे। इसके अलावा एक रिटर्न वार्षिक तौर पर दाखिल करना होगा।
- अगर किसी कारोबारी का कारोबार एक से ज्यादा राज्य में है तो उसे और ज्यादा रिटर्न्स दाखिल करने होंगे।
- माना जा रहा है कि अगर किसी कारोबारी का धंधा तीन राज्यों में है तो उसे साल भर में कुल 111 टैक्स रिटर्न भरने होंगे।
- लिहाजा, साफ है कि इससे सभी कारोबारियों पर सीए जैसे प्रोफेशनल्स की सेवा लेना अनिवार्य हो जाएगा। इससे उनका खर्च भी बढ़ेगा।
फिलहाल हर महीने रिटर्न भरने से मिली है छूट
- जीएसटी काउंसिल ने हर माह रिटर्न फाइल करने में फिलहाल दो महीने की छूट दी है। अभी जुलाई और अगस्त में रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। सितम्बर से हर माह रिटर्न फाइल करना जरूरी होगा।
75 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को मिलेगा कंपोजिशन स्कीम का फायदा
- जीएसटी काउंसिल ने कंपोजिशन की लिमिट 75 लाख कर दी थी। यानी अब 75 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी के तहत कंपोजिशन स्कीम का फायदा मिलेगा। पहले यह सीमा 50 लाख रुपए सालाना टर्नओवर थी।
- 20 लाख रुपये टर्नओवर तक जीएसटी से छूट है, ऐसे में 20 से 75 लाख के बीच सालाना कारोबार वाले इसके दायरे में आएंगे।
- कंपोजिशन स्कीम के तहत मैन्युफैक्चरर्स को कुल 2 प्रतिशत जीएसटी देना होगा, जिसमें 1 प्रतिशत सीजीएसटी और 1 प्रतिशत एसजीएसटी होगा।
- रेस्टोरेंट और ढाबे के लिए कुल रेट 5 प्रतिशत होगा, जिसमें 2.5 प्रतिशत सीजीएसटी और 2.5 प्रतिशत एसजीएसटी होगा।
- ट्रेडर्स और अन्य कारोबारियों के लिए कुल रेट 1 प्रतिशत होगा, जिसमें 0.5 प्रतिशत सीजीएसटी और 0.5 प्रतिशत एसजीएसटी होगा।
- सर्विस प्रोवाइडर्स को इस स्कीम में जगह नहीं दी गई है।
जीएसटी में कर नहीं देने पर सजा और जुर्माना का कड़ा प्रावधान
- जीएसटी व्यवस्था में विभिन्न अपराधों के लिए 21 सजा और जुर्मानों का प्रावधान है।
- समय पर रिटर्न नहीं भरने पर प्रतिदिन 100 रुपये जुर्माना लगेगा।
- बुरी नीयत से की गई धोखाधड़ी के लिए टैक्स के बराबर 100 फीसदी जुर्माना अदा करना पड़ेगा पर अज्ञानतावश कर चोरी पर टैक्स का दस फीसदी ही जुर्माना लगेगा।
- 25 लाख रुपये की कर चोरी पर एक साल जेल और जुर्माना हो सकता है।
- 50 लाख रुपए से अधिक कर चोरी पकड़ने जाने पर तीन साल की सजा हो सकती है।
- दो करोड़ रुपये की कर चोरी पर कानून बहुत सख्त है। इसमें गैर-जमानती गिरफ्तारी और पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।
तकरीबन 12 किस्म के अपराधों के लिए जीएसटी व्यवस्था के तहत गिरफ्तारी का प्रावधान है
- वस्तु या सेवा बेचने पर इनवांइस नहीं जारी करना, माल या सेवा बेचे बिना इनवॉइस जारी करना, जमा कर को अदा न करना, वास्तव में माल या सेवा प्राप्त किये हुए बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना, इरादतन वित्तीय रिकॉर्ड में फर्जीवाडा और कपट पूर्वक टैक्स रिफंड लेना आदि इस प्रकार के अपराध शामिल हैं।
अरूण जेटली का बयान
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कंपनियों को सख्त चेतावनी दी है कि जो कंपनियां जीएसटी के लाभों को उपभोक्ता को नहीं देंगी, उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा और कानून के मुताबिक दंड के भोगी होंगे।