Monday, May 20, 2024
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Birthday Special : हीरो ही नहीं कॉमेडियन और विलेन तक बन चुके हैं चंकी पांडे, पहचान मिली सपोर्टिंग रोल में

by Yogita Chauhan
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बॉलीवुड अभिनेता चंकी पांडे chunky pandey आज अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं। चंकी पांडे 80 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में आए औऱ उनको पहली फिल्म मिली पहलाज निहलानी की आग ही आग। लेकिन जब चंकी पांडे की लाजवाब अदाकारी का जिक्र आता है तो गोविंदा के साथ उनकी फिल्म आंखें और अनिल कपूर के साथ सुपरहिट फिल्म तेजाब जेहन में आती है।

चंकी पांडे के साथ ये दुश्वारी रही कि वो कभी भी सोलो हीरो के रूप में हिट नहीं हो पाए। ऐसा नहीं है कि उन्हें मौके नहीं मिले लेकिन चंकी पांडे जब भी पॉपुलर हुए, उनके सपोर्टिंग रोल महत्वपूर्ण रहे।

कहते हैं कि बॉलीवुड में सिक्का न चलने पर आमतौर पर एक्टर औऱ एक्ट्रेसेज तमिल सिनेमा की तरफ रुख करते हैं लेकिन चंकी पांडे इस दौर में बांग्लादेश चले गए। उनकी किस्मत ही थी कि वहां उन्होंने छप्पर फाड़ कर कामयाबी मिली। बांग्लादेश की भाषा न आने के बावजूद चंकी पांडे कम ही समय में बांग्लादेशी सिनेमा के सुपरस्टार बन गए।

लेकिन बॉलीवुड में सफलता पाने का सपना उनकी आंखों में लंबे समय से था। ऐसे में वो फिर बॉलीवुड लौट कर आए। दौर था 1993 का। उन्होंने कयामत, ऐलान जैसी फिल्में की जो ठीक ठाक चली। फिर उनके हाथ लगी आंखें, जिसमें गोविंदा के साथ उनके किरदार की काफी तारीफ की  गई। लेकिन चंकी को लगने लगा था कि हीरो वाले रोल अब उनके लिए मुफीद नहीं रहे, इसलिए वो सीरियस किस्म के करेक्टर रोल तलाशने लगे।

ये वो दौर था जब चंकी पांडे ने अपने ऊपर बॉलीवुड और सोशल मीडिया पर कई जोक झेले। बॉलीवुड में अवॉर्ड नाइट्स में भी उनका मजाक उड़ाया गया लेकिन चंकी ने खुले मन से सब स्वीकार किया। ये चंकी के अंदर की मजबूती ही थी कि वो खुद ऐसी जगहो पर जाया करते थे जहां उनका मजाक उड़ता था।

एक तरफ उनकी बेटी अनन्या पांडे सिनेमा के गुर सीख रही थी और दूसरी तरफ फिर एक बार चंकी पांडे ने रुख बदला और कॉमेडी करने का फैसला किया। उन्होंने हाउसफुल में रोल करना स्वीकार किया और हाउसफुल चल निकली। उनके किरदार जस्ट जोकिंग को लोगों ने सराहा। इसके बाद उन्होंने विलेन के रोल भी स्वीकार किए। हाल ही में आई बड़े बजट की फिल्म साहो में चंकी  पांडे के विलेन करेक्टर पर लोगों का ध्यान गया। अब हाउसफुल 4 आ रही है और इसमें भी चंकी पांडे के जलवे दिखेंगे।

दरअसल चंकी पांडे सिखाते हैं कि सफलता और असफलता सिक्के के दो पहलू  हैं। इनसे घबराना या इन पर इतराना नहीं चाहिए। वो अपने ऊपर बनने वाली मीम्स, मजाक को सहज तौर पर लेते हैं, उनके व्यवहार के लोग कायल हैं और यही सीख उन्होंने अपनी बेटी को दी है।

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