Saturday, May 4, 2024
hi Hindi

This poem for those who call me uncle

by SamacharHub
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उम्र चालीस पार है लेकिन
शक्ल हमारी तीस के जैसी
मुझको uncle कहने वाले,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

बेटी के स्कूल गया तो,
टीचर देख मुझे मुस्कुराई
बोली क्या मेंटेंड हो मिस्टर,
पापा हो, पर लगते हो भाई

क्या बतलाऊँ उसने फिर,
बातें की मुझ से कैसी कैसी
मुझको uncle कहने वालो,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

पडोसन बोली, सेकंड हैंड हो,
लेकिन फ़्रेश के भाव बिकोगे
बस थोड़ी सी दाढ़ी बढ़ा लो,
कार्तिक आर्यन जैसे दिखोगे

अब भी बहुत जोश है तुम में,
हालत नहीं है ऐसी वैसी
मुझको uncle कहने वालो,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

बीवी सोच रही है शौहर,
मेरा कितना अच्छा है जी
पढ़ती नहीं गुलज़ार साहेब को,
दिल तो आख़िर बच्चा है जी

नीयत मेरी साफ़ है यारो
नही हरकतें ऐसी वैसी
मुझको uncle कहने वालो,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

कितनी मेहनत की है हमने
इन गुज़रे सालों में है
दो-एक झुर्रियाँ गालों में हैं,
और सफ़ेदी बालों में है

इरादे मगर मज़बूत हैं अब भी,
उमंग भी सॉलिड पहले जैसी
मुझको uncle कहने वालो,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

जीने का जज़्बा क़ायम हो तो,
उम्र की गिनती फिर फ़िज़ूल है
अपने शौक़ को ज़िंदा रखो,
जीने का बस यही उसूल है

ज़िंदादिली का नाम है जीवन,
परिस्थितियाँ हों चाहे जैसी
मुझको uncle कहने वालो,
धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी

🍀🍃🍀🍃🍀🍃🍀🍃🍀

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