Sunday, May 19, 2024
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इस रेस्टोरेंट में हर रोज 3-4 हजार लोग आकर खाते हैं यहां पराठे

by Vinay Kumar
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आप दिल्ली एनसीआर के पास रहते हैं खाने पीने के शोकिन है और मुरथल नहीं गए तो आपका दिल्ली में रहना बेकार है। जी हां आज खाने पीने के शोकिन लोग हर रोज कोई न कोई रेस्टोरेंट, ढाबा या फास्ट फूड कॉर्नर ढूंढते रहते हैं। लेकिन इस मामले में दिल्ली वाले थोड़े भाग्यशाली जरूर हैं कि उनके आस पास ऐसी बहुत सी जगह हैं जहां का फूड पूरे भारत में मश्हूर हैं।  आज हम आपको एक ऐसे ही रेस्टोरेंट के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिल्ली से थोड़ी दूरी पर है और यहां के पराठे खाने लोग दूर दूर से आते हैं। दरअसल हम बात कर रहें हैं मुरथल के अमरिक सुखदेव की। अगर आप बहुत बड़े फूडी हो और हैंगआउट करना चाहते हो तो यह जगह आपको खासी पसंद आएगी। चलिए जानते हैं आखिर औरक्या खासियत है सुखदेव रेस्टोरेंट की।

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दिल्ली से कुछ घंटो की दूरी पर

दिल्ली-चंडीगढ़ एन एच 1 पर मौजूद यह ढाबा दिल्ली से कुछ ही दूरी पर है। इस ढ़ाबे के पराठें और मक्खन की खुशबू यात्रियों को यहां रूक कर खाने के लिए मजबूर कर देती है। अगर आप इस रास्ते से जा रहे हो और एक बेहतरीन चाय पीना चाहते हैं, तो यकीन मानिए यहां की चाय का टेस्ट आप जिंदगी भर नही भूलेंगे।

160 डिशेस के ऑप्शन

सुखदेव ढाबे पर ज्यादातर समय भीड़ का माहौल ही देखने को मिलता है, लेकिन 24 घंटे चलने वाले इस रेस्टोरेंट में बड़े स्पेस के चलते जगह आपको मिल ही जाती है। वैसे तो यहां 160 डिशेस आपको मिल जाएंगी। लेकिन यहां सबसे फेमस हैं पराठे, और उसमें भी आपको एक या दो ऑप्शन नहीं मिलते बल्कि 12 ऑप्शन मिलते हैं। चाय के साथ यह पराठे आपको जिंदगभर इस जगह बार बार आने पर मजबूर कर देंगे।

माधूरी और राजुकमार भी आए हैं यहां

अगर आपको यह लगता है कि हम यूं ही इस रेस्टोरेंट की तारीफ कर रहे हैं तो यह आपकी गलतफहमी हो सकती है। आपको बता दे कि अब तक यहां बॉलीवुड की अदाकारा माधुरी दीक्षित और राजकुमार संतोषी जैसे दिग्गज कलाकार भी आ चुके हैं। दिल्ली वालों के लिए हैंगआउट करने के लिए भी यह जगह बेहद मशहूर हो गई है। आप जानते हैं कि सुखदेव का क्रेज इतना है कि यहां हर रोज करीब 3 से 4 हजार लोग आ जाते हैं। शायद अब आप भी यहां आने का प्लान जरूर बनाएं।

1956 में हुई थी शुरूआत

सरदार प्रकाश सिंह ने 1956 में जीटी रोड पर यह ढाबा ट्रक ड्राइवरों के लिहाज से बनवाया था, लेकिन तरक्की होती रही और एक छोटा सा ढाबा कब आलिशान रेस्टोरेंट में बदल गया यह पता ही नहीं चला। हालांकि आज मुरथल में केवल सुखदेव ढाबा नहीं है, बल्कि छोटे बड़े मिलाकर कई ढाबे खुल चुके हैं।

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