Saturday, May 18, 2024
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हॉकी के महान खिलाड़ी बलवीर सिंह की अनसुनी बातें जानिए

by Divyansh Raghuwanshi
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भारत के महान हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह को शायद ही भारत में कोई ऐसा व्यक्ति है, जो नहीं जानता हो। महान हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह का हाल ही में 25 मई 2020 को निधन हो गया है। बालवीर सिंह ने 1948 में लंदन में हुई हॉकी के मैच में अंग्रेजों के घुटने टिका दिए थे। बलवीर सिंह पंजाब के रहने वाले थे और इनका जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हुआ था। इनकी खास बात यह भी है, कि इनके पिता एक स्वतंत्र सैनानी थे और बलवीर सिंह की मां लाहौर की थी।

वह इस दुनिया से भले ही चले गए हो लेकिन लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। बलवीर सिंह की एक अनसुनी बात यह है, कि यह भारत के इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जो 3 बार गोल्ड जीत चुकी टीम के सदस्य रह चुके हैं।

बलवीर सिंह की स्कूल पढ़ाई देव समाज हाई स्कूल में हुई और आगे की पढ़ाई डीएम कॉलेज मोगा, नेशनल कॉलेज लाहौर, खालसा कॉलेज अमृतसर में हुई। भारत-पाकिस्तान के विभाजन से पहले बलवीर सिंह ने लाहौर में पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और इसके साथ-साथ हॉकी टीम का नेतृत्व भी किया।

हॉकी विजेता टीम के रहे चीफ

blb 1542198203बलवीर सिंह हॉकी विजेता टीम के चीफ रहे हैं। वह लंदन ओलंपिक  (1948) खिलाड़ी के रूप में टीम में थे,  हेल्सिंकी ओलंपिक(1952) टीम के वाइस कैप्टन रहे,  मेलबर्न ओलंपिक (1956) में गोल्ड मेडल विजेता टीम के सदस्य रहे थे। एशियन गेम्स (सन् 1958) में भी वो विजेता टीम के सदस्य थे। बलवीर सिंह 1971 में मेंस वर्ल्ड कप ब्रोंज मेडल विजेता टीम के कोच रहे हैं और साल 1975 में जब भारत वर्ल्ड कप मैच खेलने जा रहा थे, तब हॉकी टीम के कोच व मैनेजर भी रह चुके हैं। 

इन अवार्ड से हो चुके सम्मानित

हॉकी के महान खिलाड़ी कहे जाने वाले व्यक्ति को कई अवार्ड से  सम्मानित किया जा चुका है। चलिए जानते हैं कि इनको किन-किन प्रमुख अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है- बलवीर सिंह को 19 57 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। यह अवार्ड पाने वाले पहले भारतीय थे। साल 2006 में बलवीर सिंह को बेस्ट सिख खिलाड़ी का अवार्ड भी प्रदान किया गया। सन 2015 में इनको मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। सन 2019 में महाराजा रणजीत सिंह खेल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने केवल खेल में ही ध्यान नहीं दिया बल्कि इन्होंने अपनी स्वयं की किताबें भी लिखी हैं।  इनमे दो प्रमुख रूप से प्रचलित हैं जिनका पहला नाम गोल्डन हैट्रिक और दूसरा नाम द गोल्डन यार्ड स्टिक है।

अंग्रेजों की जमीन पर अंग्रेजों को ही हराया

balbirsinghseniorबलवीर सिंह ने लंदन में हुए 1948 के ओलंपिक में अंग्रेजों को उनकी  ही धरती पर 4:0 के स्कोर से करारी हार दी थी। इस जीत में बलवीर सिंह का बड़ा हाथ था जिस में दो गोल सिर्फ बलवीर सिंह ने ही किए थे। जीत के बाद बलवीर सिंह ने इंग्लैंड की धरती पर पहली बार भारतीय झंडा लहराया था। एक रिपोर्ट में पता चला था, कि बलवीर सिंह जब झंडा लहरा रहे थे, तब वह भावुक होकर रोने लगे थे।

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