Wednesday, April 24, 2024
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नार्थ कोरिया की मदद के लिए जुटा रूस, सप्लाई कर रहा है ‘ईंधन’

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दुनिया का सबसे खतरनाक रक्षा तंत्र व वहां की सरकार जिसे विश्व काफी दिनों से झेल रहा है वो है नार्थ कोरिया. यह एक मात्र ऐसा देश है जिसे अपने जनतंत्र की कोई परवाह नहीं. यहाँ का हुकूमत जब चाहे तब अपनी ही जनता पर टैंक चला देती है. जिसे पूरे विश्व ने भी देखा था. और आज वो समय है नार्थ कोरिया के साथ कोई विकासील देश साथ देने को तैयार नहीं है. दरअसल आमतौर पर देखा गया नार्थ कोरिया का विवाद साउथ कोरिया के साथ देखा गया जिसमें चाइना व अमेरिका जैसे देश भी कभी-कभी इनकी लड़ाई में शामिल हो जाते है.

यहाँ तक की अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तो नार्थ कोरिया के प्रेसिडेंट किम जोंग उ को धमकी तक दे चुके ऐसा तब हुआ था जब नार्थ कोरिया ने जापान के प्रान्त में बेलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था.  इन्हीं सब हरकतों को लेकर विश्व का हर देश इस मूडी अंदाज़ को लेकर घवराया हुआ है. लेकिन दो वरिष्ठ पश्चिमी यूरोपीय रक्षा सूत्रों के मुताबिक रूस नार्थ कोरिया का मददगार बन रहा है. वह नार्थ कोरिया के लिए पश्चिमी यूरोपीय सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक रूस के टैंकरों हाल के महीनों में कम से कम तीन बार नॉर्थ कोरिया को ईंधन की सप्लाइ की है.

ईंधन का यह आदान-प्रदान अक्टूबर और नवंबर के महीने में किया गया था. रॉयटर्स ने सितंबर में इस खबर को सार्वजनिक किया था कि नॉर्थ कोरिया के जहाजों का परिचालन रूस की समुद्री सीमा से लेकर उसकी सीमा तक हो रहा है. एक सुरक्षा सूत्र ने पहचान छिपाने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया है कि रूस ने इस साल कई बार जहाज से जहाज के बीच में ही नॉर्थ कोरिया को पेट्रोकेमिकल्स ट्रांसफर किया है.

उनके मुताबिक ऐसा करके रूस ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है. हालांकि दूसरे सूत्र ने कहा है कि इसका कोई सबूत नहीं है कि ईंधन के आदान-प्रदान के इस खेल में रूसी सरकार की कोई भूमिका है. उन्होंने कहा कि इसके कोई साक्ष्य नहीं हैं कि रूस के इन जहाजों को रूसी सरकार का भी समर्थन है। हालांकि इतना तय है कि रूस के जहाज नॉर्थ कोरिया के लिए जीवनरक्षक का काम कर रहे हैं।.

सुरक्षा सूत्रों के अनुशार प्रशांत सागर क्षेत्र में रूस के सुदूर पूर्वी बंदरगाहों से चल रहे जहाजों की सैटलाइट तस्वीरों और नैवल इंटेलिजेंस के हवाले से ये दावा किया है. हालांकि उन्होंने इससे अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया. इस संबंध में रूस के विदेश मंत्रालय और कस्टम सर्विस ने भी कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

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